IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) उन दंपतियों के लिए एक प्रभावी उपचार है जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर पा रहे हैं। निम्नलिखित प्रकार के मरीजों में IVF प्रभावी हो सकता है:
1. महिलाओं में फैलोपियन ट्यूब की समस्या:
- अगर दोनों ट्यूब ब्लॉक हैं या क्षतिग्रस्त हैं, तो अंडाणु और शुक्राणु का प्राकृतिक मिलन संभव नहीं होता।
- IVF में अंडाणु और शुक्राणु को लैब में मिलाया जाता है, इसलिए यह कारगर साबित होता है।
2. पुरुषों में शुक्राणुओं की कमी या गुणवत्ता खराब होना:
- बहुत कम संख्या में शुक्राणु
- कमजोर गतिशीलता
- शुक्राणु की असामान्य बनावट
3. अस्पष्टीकृत बांझपन (Unexplained Infertility):
जब सभी रिपोर्ट सामान्य हों लेकिन फिर भी गर्भधारण न हो रहा हो।
4. उम्र बढ़ने के कारण महिला की प्रजनन क्षमता में कमी:
- 35 साल की उम्र के बाद महिलाओं में अंडाणु की संख्या और गुणवत्ता कम हो जाती है।
- IVF में अच्छी गुणवत्ता वाले अंडाणु चुने जाते हैं, जिससे सफलता की संभावना बढ़ती है।
5. एंडोमेट्रिओसिस (Endometriosis):
- यह स्थिति तब होती है जब गर्भाशय की परत (endometrium) शरीर के अन्य हिस्सों में बढ़ती है, जिससे गर्भधारण में समस्या आती है।